महामृत्युंजय मंत्र Mahamrityunjay Mantra

महामृत्युंजय मंत्र Mahamrityunjay Mantra
महामृत्युंजय मंत्र Mahamrityunjay Mantra

महामृत्युंजय मंत्र - महामृत्युंजय मंत्र जिसे मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं, जो मृत्यु को जीतने वाला हो। महामृत्युंजय सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक है, जिसका जाप करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद, यजुर्वेद, शिवपुराण और अन्य ग्रंथो में मिलता है और इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। 

संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

Om Trimbak Yajamhe
Sugandhi Puthivivradhanam ।
Urvorukmiv Bandhanan
Mrtyormukshiy Mamratat ॥

लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।

शिवपुराण के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र के जाप से साधक को संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इससे जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है।

महामृत्युंजय मंत्र अन्य नाम
महामृत्युंजय मंत्र मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र है जिसे शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र भी कहा जाता है। 
इस मंत्र को शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र भी कहा जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र को मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है।

महामृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ
इस पूरे संसार के पालनहार, त्रिनेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्‍यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं। 

महामृत्‍युंजय मंत्र जप की विधि
सावन माह में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही कल्याणकारी और लाभकारी माना जाता है। वैसे आप यदि अन्य माह में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार के दिन से इसका प्रारंभ कराना चाहिए। इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। प्रतिदिन एक माला का जाप जरूर करें यानि इस मंत्र का उच्चारण 108 बार करें। शिवपुराण के अनुसार इस मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। 

क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप
रोज रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र के 108 जप करने से अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर दूर होता है। साथ ही कुंडली के दूसरे बुरे रोग भी शांत होते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये मंत्र नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है। अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।

Comments