सालासर बालाजी चालीसा Salasar Balaji Chalisa Lyrics

सालासर बालाजी चालीसा Salasar Balaji Chalisa Lyrics

सालासर बालाजी चालीसा

।। दोहा ।।
गुरु गिरा अरु गणपति, पुनि विनवऊँ हनुमान ।
सालासर के देवता, सदा करो कल्याण ।।
लाल देह की लालिमा, मूर्ति लाल ललाम ।
हाथ जोड विनति करुँ, पुरवहु सबके काम।।

।। चौपाई ।।
जय जय जय सालासर धामा ।
पावन रुचिर लोक अभिरामा ।।

जिमि पावन मथुरा अरु कासी ।
पुष्कर कुरुक्षेत्रं सुखरासी।।

अवधपुरि, गंगे हरिद्वारा ।
सालासर शुभ वरणु विचारा ।।

राजस्थान सीकर नियराये ।
लछमनगढ़ नगर मन भाये।।

तेहि नियर सालासर ग्रामा ।
सकल भान्ति शुभ शुचि सुखधामा ।।

सिद्धपीठ यह परम पुनीता ।
हनुमद् दर्शन सब दुख बीता।।

ताते विनय करौं सुनु भाई ।
भजहुं पवनसुत सुमति पाई ।।

सालासर हनुमत जिमि आवा ।
कहुं सकल सुनु मन समुझावा।।

मोहनदास विप्र सब जाना ।
भगति भाव गुण ज्ञान निधाना ।।

उदय संग ले खेत कमाये ।
एक बार हनुमद् तहं आये।।

कह कपि विप्र सुनो मम बानी ।
कीजे ध्यान भगति जिय जानी ।।

सब तजि मोहन विप्र विचार ।
हनुमत भजन सदा सुखकारी।।

करइ भजन भगति अरू ध्याना ।
नित्य होई मिलन हनुमाना ।।

आसोटा मूर्ति प्रगटाये ।
लै ठाकुर सालासर आये।।

विक्रम अष्टादस शत् ग्यारह ।
आयऊ हनुमद् रवि जिमि बारह ।।

श्रावण सित नवमी शनिवारा ।
थायन योग भूमि असवारा।।

मोहन पूजन हवन कराई ।
कपि मूरति थापी सुखदाई ।।

आरति मोहन मंगल गावा ।
ढोल नगारा शबद सुहावा ।।

चढे़ चूरमा भोग लगाय ।
भजन कीर्तन सब मिल गाये ।।

एक बार मोहन मन भाई ।
भई प्रेरणा मूर्त सजाई।।

चित्र रचा जो मन सुखदाई ।
भये प्रसन्न हनुमत् कपिराई ।।

घृत सिन्दूर थाल भर लीना ।
मूरत लाल ललित कर दीना।।

मोहन बोले उदय बुलाई ।
हनुमद कहं अवराधौ आई ।।

सेवहुं हनुमद् लग्न लगाई ।
नित प्रति भगति बढ़ै सवाई।। 

सालासर जयकार सुहाई ।
चहुँदिशि घंटा धुनि मन भाई ।।

दिन दिन हो मंदिर विस्तारा ।
पूजा करे उदय परिवारा।।

मंगल पूनम जो मन भाये ।
सालासर शुभ दर्शन पाये ।।

ध्वजा नारियल आन चढ़ाये ।
खाण्ड चूरमा भोग लगाये।।

हनुमत भजन करइ मन लाई ।
सालासर हनुमान मनाई ।।

एहिविधि आई धोक लगाये ।
मन इच्छा फल सब जन पाये।।

आत्म ज्ञान बढ़े नित नाया ।
जब ते होये हनुमत दाया ।।

सब विध कष्ट विकार हटावे ।
सालासर शरणा जो जावे।।

चिन्ता सांपिनी ताको भाज ।
जाके हिय में हनुमत राजे ।।

हनुमत दर्शन अति मन भाई ।
लाल देह छवि कहि नहिं जाई।।

दूर दूर ते लोग लुगाई ।
बड़े भाग ते दर्शन पाई ।।

करहि सफल सब निज निज लोचन ।
करि करि दर्शन संकट मोचन।।

हनुमत महिमा चहुँदिशि गाजे ।
सालासर हनुमान विराजे ।।

सालासर शुभधाम भजामी ।
जय जय जय बजरंग नमामी।।

“इन्द्रजीत” कपिराई सहाई ।
सालासर महिमा जो गाई ।।

सालासर हनुमत चालीसा ।
पढ़े सुने शुभ करे कपीसा।।

।। दोहा ।।
चालीसा शुभधाम का, गाये जो चितलाय।
‘इन्द्रजीत’ भगति बढ़े, दया करें कपिराय।।
ओ3म् सुमर गाते रहो, नित श्री सीताराम।
सालासर शरणा गहो, करि हनुमत प्रणाम।।

श्री सालासर बालाजी आरती





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