श्री विष्णु भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम् (Vishnu Bhujangaprayat Stotram - Adi Shankaracharya)

M Prajapat
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श्री विष्णु भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम् (Vishnu Bhujangaprayat Stotram - Adi Shankaracharya)
श्री विष्णु भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम्

श्री विष्णु भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक संस्कृत स्तोत्र है, जो भगवान विष्णु के गुणों का गुणगान करता है और सभी विकारों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति की ओर ले जाता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के स्वरूप, जैसे कि उनके आनंदमय रूप, मनमोहक दृष्टि और सुंदर काया का वर्णन करता है। इस स्तोत्र का पाठ शांत मन से करने वाले भक्त को आध्यात्मिक लाभ और संसार से मुक्ति मिलती है।

श्री विष्णु भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम् (Vishnu Bhujangaprayat Stotram - Adi Shankaracharya)

श्री विष्णु भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम्

चिदंशं विभुं निर्मलं निर्विकल्पं
निरीहं निराकारमोङ्कारगम्यम् ।
गुणातीतमव्यक्तमेकं तुरीयं
परं ब्रह्म यं वेद तस्मै नमस्ते ॥ १ ॥ 

विशुद्धं शिवं शान्तमाद्यन्तशून्यं
जगज्जीवनं ज्योतिरानन्दरूपम् ।
अदिग्देशकालव्यवच्छेदनीयं
त्रयी वक्ति यं वेद तस्मै नमस्ते ॥ २ ॥ 

महायोगपीठे परिभ्राजमाने
धरण्यादितत्त्वात्मके शक्तियुक्ते ।
गुणाहस्करे वह्निबिम्बार्धमध्ये
समासीनमोङ्कर्णिकेऽष्टाक्षराब्जे ॥ ३ ॥

समानोदितानेकसूर्येन्दुकोटि-
प्रभापूरतुल्यद्युतिं दुर्निरीक्षम् ।
न शीतं न चोष्णं सुवर्णावदात-
प्रसन्नं सदानन्दसंवित्स्वरूपम् ॥ ४ ॥ 

सुनासापुटं सुन्दरभ्रूललाटं
किरीटोचिताकुञ्चितस्निग्धकेशम् ।
स्फुरत्पुण्डरीकाभिरामायताक्षं
समुत्फुल्लरत्नप्रसूनावतंसम् ॥ ५ ॥ 

लसत्कुण्डलामृष्टगण्डस्थलान्तं
जपारागचोराधरं चारुहासम् ।
अलिव्याकुलामोदिमन्दारमालं
महोरस्स्फुरत्कौस्तुभोदारहारम् ॥ ६ ॥

सुरत्नाङ्गदैरन्वितं बाहुदण्डै-
श्चतुर्भिश्चलत्कङ्कणालङ्कृताग्रैः ।
उदारोदरालङ्कृतं पीतवस्त्रं
पदद्वन्द्वनिर्धूतपद्माभिरामम् ॥ ७ ॥ 

स्वभक्तेषु सन्दर्शिताकारमेवं
सदा भावयन्सन्निरुद्धेन्द्रियाश्वः ।
दुरापं नरो याति संसारपारं
परस्मै परेभ्योऽपि तस्मै नमस्ते ॥ ८ ॥ 

श्रिया शातकुम्भद्युतिस्निग्धकान्त्या
धरण्या च दूर्वादलश्यामलाङ्ग्या ।
कलत्रद्वयेनामुना तोषिताय
त्रिलोकीगृहस्थाय विष्णो नमस्ते ॥ ९ ॥

शरीरं कलत्रं सुतं बन्धुवर्गं
वयस्यं धनं सद्म भृत्यं भुवं च ।
समस्तं परित्यज्य हा कष्टमेको
गमिष्यामि दुःखेन दूरं किलाहम् ॥ १० ॥ 

जरेयं पिशाचीव हा जीवतो मे
वसामत्ति रक्तं च मांसं बलं च ।
अहो देव सीदामि दीनानुकम्पि-
न्किमद्यापि हन्त त्वयोदासितव्यम् ॥ ११ ॥ 

कफव्याहतोष्णोल्बणश्वासवेग-
व्यथाविस्फुरत्सर्वमर्मास्थिबन्धाम् ।
विचिन्त्याहमन्त्यामसङ्ख्यामवस्थां
बिभेमि प्रभो किं करोमि प्रसीद ॥ १२ ॥

लपन्नच्युतानन्त गोविन्द विष्णो
मुरारे हरे नाथ नारायणेति ।
यथानुस्मरिष्यामि भक्त्या भवन्तं
तथा मे दयाशील देव प्रसीद ॥ १३ ॥ 

भुजङ्गप्रयातं पठेद्यस्तु भक्त्या
समाधाय चित्ते भवन्तं मुरारे ।
स मोहं विहायाशु युष्मत्प्रसादा-
त्समाश्रित्य योगं व्रजत्यच्युतं त्वाम् ॥ १४ ॥

विष्णुभुजङ्गप्रयातस्तोत्रं सम्पूर्णम् ||


Vishnu Bhujangaprayat Stotram| श्री विष्णु भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम् | Adi Shankaracharya

Singer: Amrita Chaturvedi Upadhyay
Lyrics: Traditional/ Adi Shankaracharya
Music: Rohit Kumar (Bobby)

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