रमापत्यष्टकम् Ramapati Ashtakam (Vishnu Stotram)

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रमापत्यष्टकम् Ramapati Ashtakam (Vishnu Stotram)
रमापत्यष्टकम् Ramapati Ashtakam (Vishnu Stotram)

रमापत्यष्टकम् Ramapati Ashtakam (Vishnu Stotram)

जगदादिमनादिमजं पुरुषं शरदम्बरतुल्यतनुं वितनुम् ।
धृतकञ्जरथाङ्गगदं विगदं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ १॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ, जो सृष्टि के आदिकारण हैं, अनादि और अजन्मा हैं; जिनका शरीर शरद ऋतु के आकाश के समान है, जो कमल, चक्र और गदा धारण करते हैं और जो सभी दोषों से मुक्त हैं|

कमलाननकञ्जरतं विरतं हृदि योगिजनैः कलितं ललितम् ।
कुजनैः सुजनैरलभं सुलभं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ २॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ,जो योगियों के हृदय में ध्यानस्थ हैं, जिनका मुख कमल के समान है, जो सदा आनंदित है, जो दुष्टों के लिए दुर्लभ परन्तु सज्जनों के लिए सुलभ हैं|

मुनिवृन्दहृदिस्थपदं सुपदं निखिलाध्वरभागभुजं सुभुजम् ।
हृतवासवमुख्यमदं विमदं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ ३॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ,जो मुनियों के हृदय में निवास करते हैं, जो सभी यज्ञों का भाग प्राप्त करते हैं, जिनके बलवान भुजाएं हैं, जिन्होंने इन्द्र के गर्व को हर लिया है और जो अभिमानरहित हैं|

हृतदानवदृप्तबलं सुबलं स्वजनास्तसमस्तमलं विमलम् ।
समपास्त गजेन्द्रदरं सुदरं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ ४॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ,जिन्होंने दानवों के गर्वित बल को हर लिया है, जो बलवान हैं, जो अपने भक्तों के समस्त दोषों को हर लेते हैं, जिन्होंने गजेन्द्र की पीड़ा को हर लिया है और जो अत्यंत सुन्दर हैं|

परिकल्पितसर्वकलं विकलं सकलागमगीतगुणं विगुणम् ।
भवपाशनिराकरणं शरणं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ ५॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ,जो सभी कलाओं के स्वामी हैं, जो सभी गुणों से परे हैं, जो सभी शास्त्रों में वर्णित हैं, जो संसार के बंधनों को हर लेते हैं और जो शरण देने वाले हैं|

मृतिजन्मजराशमनं कमनं शरणागतभीतिहरं दहरम् ।
परितुष्टरमाहृदयं सुदयं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ ६॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ,जो जन्म, मृत्यु और बुढापे को समाप्त करते हैं, जो मनोहर हैं, जो शरणागतों के भय को हरते हैं, जिनका हृदय सदा प्रसन्न रहता है और जो अत्यंत पवित्र हैं|

सकलावनिबिम्बधरं स्वधरं परिपूरितसर्वदिशं सुदृशम् ।
गतशोकमशोककरं सुकरं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ ७॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ,जो समस्त सृष्टि को धारण करते हैं, जो स्वयं समर्थ हैं, जो सभी दिशाओं में व्याप्त हैं, जो सुन्दर दृष्टि वाले हैं, जो शोक को हरते हैं और सुख प्रदान करते हैं |

मथितार्णवराजरसं सरसं ग्रथिताखिललोकहृदं सुहृदम् ।
प्रथिताद्भुतशक्तिगणं सुगणं प्रणमामि रमाधिपतिं तमहम् ॥ ८॥

मैं लक्ष्मीपति भगवान को प्रणाम करता हूँ,जिन्होंने समुद्र मंथन किया और अमृत प्राप्त किया, जो सभी लोकों के हृदय में विराजमान हैं, जो अद्भुत शक्तियों से युक्त हैं और जो सद्गुणी हैं|

सुखराशिकरं भवबन्धहरं परमाष्टकमेतदनन्यमतिः ।
पठतीह तु योऽनिशमेव नरो लभते खलु विष्णुपदं स परम् ॥ ९॥

जो भी इस परमाष्टक स्तोत्र का नियमित पाठ करता है, वह निःसंदेह भगवान विष्णु के परमपद को प्राप्त करता है, जो संसार के बंधनों को हरने वाले और सुख के स्रोत हैं|

Ramapati Ashtakam | Vishnu Stotram | Jagadadimanadimajam Purusham | Pranamami Ramadhipatim Tamham

Singer: Amrita Chaturvedi Upadhyay
Lyrics: Traditional
Music: Rohit Kumar (Bobby)
Mixmaster: A R Creations

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