सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् Siddha Kunjika Stotram |
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र :-
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र श्री दुर्गा सप्तशती से लिया गया एक स्तोत्र मन्त्र है। हिन्दू ग्रंथो के अनुसार सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ बहुत ही शुभ और परम कल्याणकारी है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्या और विघ्न दूर हो जाते है।
इस स्तोत्र में दिए गए मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माने जाते हैं। यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के मन्त्र से सिद्ध है और इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ आपको उच्चारण में कठिन लगे या आप के उसे पढ़ने का समय न हो, तो आपको सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। नवरात्रि में यदि आप देवी मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।
यह स्तोत्र श्रीरुद्रयामल के गौरी तंत्र में शिव पार्वती संवाद के नाम से वर्णित है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र सिद्ध स्त्रोत है और इसका पाठ करने से दुर्गासप्तशती पढ़ने के समान पुण्य मिलता है। मात्र कुंजिका स्तोत्र के पाठ से दुर्गा सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का फल मिल जाता है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ से लाभ
- आत्मिक शांति मिलती हैं ।
- वाणी और मन को शक्ति प्राप्त होती है।
- ग्रहों से मिलने वाले कष्ट दूर होते है।
- आर्थिक समस्याएं भी दूर होती हैं।
- तंत्रं-मंत्र का असर दूर होता है।
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् (Siddha Kunjika Stotram Lyrics from Durga Saptshati)
श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
॥ दुर्गा सप्तशती: सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् ॥
शिव उवाच:
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत ॥1॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥2॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥3॥
गोपनीयं प्रयत्नेनस्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यंस्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥4॥
॥ अथ मन्त्रः ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे ॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वलहं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥
॥ इति मन्त्रः ॥
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥1॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि ।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे ॥2॥
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥3॥
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥4॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥5॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥6॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥7॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥8॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रंमन्त्रजागर्तिहेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यंगोपितं रक्ष पार्वति ॥
यस्तु कुञ्जिकाया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायतेसिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥
॥ इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Video: सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् Siddha Kunjika Stotram
Singer: Madhvi Madhukar Jha
Singer: Gayatri Dhareshwar